मेरी कंपनी, ओलिविया जूसेज, फलों का 100 प्रतिशत प्राकृतिक जूस बनाती है। इस कंपनी को सफल बनाने के लिए मुझे कंपनी की वित्तीय स्थिति के प्रबंधन का प्रशिक्षण लेना था। मैं जो भी काम करती हूं बड़ी लगन से करती हूं लेकिन वित्तीय प्रबंधन जैसी बहुत सी चीजों की मुझे कोई जानकारी नहीं थी।
मैं कोई बही-खाता नहीं रखती थी। मैं कोई रिकार्ड भी नहीं रखती थी। बस यह लिख लेती थी कि मेरी रोज की बिक्री कितनी है और मैंने बाजार से क्या खरीदा। बस मैं इन्हीं दो बातों का रिकार्ड रखती थी।
मेरा एक बैंक खाता था पर शायद पूरे महीने मैं बैंक नहीं जाती थी। बिक्री से जो भी कमाई होती थी उससे मैं अपना और अपने परिवार का खर्च चलाती थी। कारोबारी खाता और मेरा व्यक्तिगत खाता अलग-अलग नहीं था। सबकुछ गडमड हो गया था।
मैं ये भी नहीं जानती थी कि अपने कर्मचारियों को कैसे संभालना है। वैसे तो मेरे पास सिर्फ एक कर्मचारी थी पर उसे संभालना भी मुझे नहीं आता था।
प्रशिक्षण पाने के बाद मैं ज्यादा ध्यान से काम करने लगी। अब मेरा बही-खाते का हिसाब गजब का है। हम हर शाम बैंक बंद होने से पहले दिनभर की कमाई बैंक में जमा करते हैं , चाहे रकम कितनी भी हो। मैंने कारोबारी खाते को अपने निजी खाते से अलग कर दिया है। अगर मैं कारोबार में से पैसा उधार लेती हूं तो मुझे चुकाना होता है और अगर कारोबार के लिए मुझ से उधार लिया जाता है तो महीना पूरा होने से पहले उसे मुझे लौटाना होता है। अब मैं खुद बेतन भी ले पाती हूं।
मैंने एक ब्रांड तैयार किया है और मेरी पेटियों पर ओलिवियाज जूस का लेवल भी लगता है। मेरे पास दो लोग उत्पादन में काम करते हैं और एक मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव है जो बाजार जा कर हमारे लिए आर्डर लाता है। मैं इस साल कुछ कर्मचारी रखने की सोच रही हूं।
अब मेरे पास कारोबारी ढांचा है। मैं एसएमएस के जरिये अपने ग्राहकों से संपर्क करती हूं। वे आते हैं और दूसरे लोगों को भी भेजते हैं।
पाठकों के लिए प्रश्न:
1. क्या आप अपने कारोबारी लेन-देन का रिकार्ड रखते हैं?
2. क्या आप अपनी कंपनी की कमाई से अपनी व्यक्तिगत आमदनी को अलग रखते हैं?
3. क्या आपका कोई बैंक सलाहकार है जो बैंक खाता चलाने का तरीका बता सके?
1. बही-खाता रखना: अपनी कंपनी का प्रबंध सफलता से करने के लिए हिसाब रखें कि कितनी नगदी आती जाती है (आमदनी और सारा खर्च) । अपने कारोबार की बढ़वार पर नजर रखने और यह जानने के लिए सावधानी से हिसाब-किताब रखना जरूरी है कि आपकी बिक्री कब गिरती है।
2. निर्णय लेना: पैसे का सही हिसाब-किताब रखने से आप अपने कारोबारी खर्च के बारे में फैसले ले सकते हैं, जैसे खुद नियमित बेतन लेना, कर्मचारी रखना, उपकरण खरीदना और मार्केटिंग तथा प्रचार के लिए खर्च करना।
3. बैंकिंग: अगर आपका हिसाब-किताब सही होगा तो बैंक सहर्ष आपको उधार और ऋण दे देगा। इससे आप को निवेशक आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी।